HII दोस्तो कैसे हैं आप सब
आज आप सभी को शैवाल के बारे में बताया गया है, जो भी आपके परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है वह आपको दी जा रही है। दोस्तो जानने के लिए बहोत सी बातें है पर मैं आपको उतना ही बताऊंगा जितने से 90 – 99 % उम्मीद है आएगी इसलिए मैने उन बातों को नही लिए जिनके आने के कम उम्मीद है। इसलिए आपको जितना इसमे बताया जा रहा है उतना आप जरूर याद रखे और दोस्तो अगर आपको पसंद आये तो प्लीज शेयर करे और अगर कुछ सुझाव या प्रश्न हो तो कॉमेंट बॉक्स में लिखे, हम आपके सवाल का जवाब जल्द से जल्द देने का प्रयास करेंगे।
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शैवाल क्या है ?
शैवाल सरल सजीव हैं। शैवाल को अंग्रेजी की भाषा में Algae कहा जाता है।
अधिकांश शैवाल पौधों के समान सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपना भोजन स्वंय बनाते हैं अर्थात्
शैवाल
स्वपोषी होते हैं।
ये एक कोशिकीय से लेकर बहु-कोशिकीय अनेक रूपों में हो सकते हैं, परन्तु पौधों के समान इसमें जड़, पत्तियां इत्यादि रचनाएं नहीं पाई जाती हैं।
ये नम भूमि, अलवणीय एवं लवणीय जल, वृक्षों की छाल, नम दीवारों पर हरी, भूरी या कुछ काली परतों के रूप में मिलते हैं।
इस के अध्ययन फायकोलॉजि (phycology) कहते है।
शैवाल की कुछ महत्वपूर्ण बातें
भूमंडल पर पाए जानेवाले पौधों का विभाजन दो बड़े विभागों में किया गया है।
जो पौधे फूल तथा बीज नहीं उत्पन्न करते उनको क्रिप्टोगैम (Cryptogams) कहते हैं।
जो फूल, फल एवं बीज उत्पन्न करते हैं वे फेनेरोगैम (Phanerogams) कहलाते हैं।
पर्णहरित विद्यमान होने के कारण, ये बहुधा हरे रंग के होते हैं।
कुछ शैवाल ऐसे भी होते हैं जिनका रंग लाल, भूरा अथवा नीला हरा होता है।
अधिकांश शैवाल पानी में तालाबों, रुके हुए जलाशयों तथा समुद्रों में पाए जाते हैं।
ये एक प्रकार का चिकना पदार्थ छोड़ते हैं, जिसके कारण बहुधा लोग फिसलकर गिर जाया करते हैं।
पानी में पैदा होनेवाले शैवालों का विभाजन
पानी में पैदा होनेवाले शैवालों का विभाजन दो भागों में किया जाता है।
कुछ मीठे पानी के शैवाल होते हैं जो तालाबों, झीलों, नदियों आदि में उगते हैं, तथा कुछ खारे पानी के, जो समुद्रों में पाए जाते हैं।
शैवाल का उपयोग तीन क्षेत्रों कृषि, उद्योग और चिकित्सा में बड़ा ही महत्वपूर्ण है।
शैवाल का उपयोग कृषि में
शैवाल वायु से नाइट्रोजन लेकर, मिट्टी में नाइट्रोजन के यौगिकों को स्थिर करते हैं।
पौधों के लिए नाइट्रोजन अत्यधिक उपयोगी पोषक तत्व है। इस कारण शैवाल की महत्ता बढ़ गई है।
यह नाइट्रोजन को स्थिर करके मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाता है और फसल में वृद्धि करता है।
मिक्सोफाइसिई जाति के शैवाल ही इस कार्य में प्रवीण हैं। इनमें नॉस्टक , टौलिपोअक्स , औलिसोरा फरटिलिसिमा तथा एनाबीना इत्यादि सबसे अधिक महत्वपूर्ण
हैं।
कटक के धान अनुसंधान केंद्र के अनुसंधान से यह ज्ञात हुआ है कि टौलिपोअकस सबसे अधिक नाइट्रोजन स्थापित करता है।
शैवाल का उपयोग उद्योग और चिकित्सा में
शैवाल से आयोडीन नामक तत्व निकाला जाता है, जो ओषधि में तथा अन्य क्षेत्रों में काम आता है।
रोडिमीनिया (Rhodymenia) और फिलोफोरा (Phyllophora) नामक शैवालों में आयोडिन अधिक रहता है।
शैवाल मनुष्य का भी खाद्य पदार्थ है। कहा जाता है, अन्नसंकट में शैवाल उपयोगी खाद्यपदार्थ सिद्ध हो सकता है।
शैवाल में सभी विटामिन, प्रोटीन, वसा, शर्करा तथा लवण, जो खाद्य पदार्थ की मुख्य सामग्री है, विद्यमान है।
अल्वा (Ulva) तथा पॉरफिरा (Porphyra) में विटामिन की मात्रा अधिक होती है।
निचिया डाइऐटॉम में विटामिन A की मात्रा अधिक है।
शैवाल की कुछ महत्वपूर्ण - GK |
अलेरिया वालिडा (Alaria Valida) में विटामिन सी (C) अधिक पाया जाता है।
शैवाल मछलियों का आहार है। जल में रहनेवाले अन्य जीव जंतुओं के लिए भी शैवाल पोषक पदार्थ है।
अन्नसंकट को दूर करने में क्लोरेला नामक शैवाल बहुत ही उपयोगी सिद्ध हो सकता है। यह शैवाल पौष्टिक पदार्थों से परिपूर्ण है। यह फैलने के लिए अधिक स्थान भी नहीं लेता।
जितनी जमीन आज हमें प्राप्त है, उसके 1/5 हिस्से में ही क्लोरेला के उपजाने से 2050 ई. में अनुमानित 70 अरब जनसंख्या के लिए भोजन, विद्युत् और जलावन प्राप्त हो सकता है।
सबसे बड़ा शैवाल मैक्रोसिस्टिस (Macrocystis) है, जो लाखों कोशिकाओ से बना तथा कई सौ फुट लंबा होता है।
शैवाल से नुकसान
शैवाल जल को दूषित कर देते हैं।
कुछ से ऐसी गैसें निकलती हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
कुछ शैवाल दूसरे पौधों पर रोग भी फैलाते हैं। जैसे - चाय की पत्ती का लाल रोग, सेफेल्यूरस , शैवाल के कारण ही होता है।
महत्वपूर्ण बातें
एलिजन का निर्माण किया जाता है जो वाल्केनाइजेशन, टाइपराइटर के रोलर और अज्वलनशील फिल्मों के निर्माण में उपयोगी है
सारगासम नामक शैवाल कृत्रिम ऊन उत्पादन में किया जाता है
श्रंगार प्रसाधनों, शैंपू, जूतों, की पालिश में भी शैवाल का उपयोग होता है
अगर नामक पदार्थ लाल शैवाल से निर्मित होता है
लेमीनेरिया, फ्युकस शैवाल का प्रयोग आयोडीन, ब्रोमीन, अम्ल और एसीटोन में किया जाता है
नास्टोक से क्लोरिन नामक शैवाल नाइट्रोजन स्थिरीकरण में उपयोगी है
नील हरित शैवाल का उपयोग ऊसर भूमि को उपजाऊ बनाने में किया जाता है
दवाइयों में उपयोगी शैवाल
ग्लोरेला से क्लोरिन नामक प्रतिजैविक तथा लेमिनरिया में आयोडीन टिंचर बनाई जाती है
कारा तथा नाइट्रेला शैवाल मलेरिया उन्मूलन में सहायक है
अनुसंधान कार्य में उपयोगी शैवाल
क्लोरेला प्रकाश संश्लेषण की खोज में यह बहुत उपयोगी शैवाल है क्लोरेला शैवाल को अंतरिक्ष यान के केबिन में हौज में उगाकर अंतरिक्ष यात्री प्रोटीन युक्त खाना, जल और ऑक्सीजन प्राप्त कर सकता है
एसिटाबुलेरिया केंद्रक की खोज में उपयोगी
वैलोनिया-जीव द्रव्य की खोज में उपयोगी
हानिकारक शैवाल
Microcystis, chirococcus, Oscilleria और सिफेल्युरोम आदि हानिकारक शैवाल है
सबसे छोटा एक कोशिकीय शैवाल एसीटोबुलेरिया है
माइक्रोसिस्टीस सबसे बड़ा शैवाल है
बर्फ पर पाया जाने वाले शैवाल को क्रिप्टोफाइटस कहा जाता है
पहाड़ों पर पाए जाने वाले शैवाल को लीथोफाइटस कहा जाता है
सबसे छोटा क्रोमोसोम शैवाल का होता है. क्रोमोसोम का मतलब होता है गुणसूत्र
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