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चंद्रमा से संबंधित महत्वपूर्ण-GK-CURRENT-AFFAIRS-HINDI-GK FOR ALL COMPETITIVE EXAM LIKE UPSC-BPSC-SSC-RAILWAY....


HII दोस्तो कैसे हैं आप सब 

आज आप सभी को  चांद / उपग्रह के बारे में बताया गया है, जो भी आपके परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है वह आपको दी जा रही है। दोस्तो जानने के लिए बहोत सी बातें है पर मैं आपको उतना ही बताऊंगा जितने से 95 - 100 उम्मीद है आएगी इसलिए मैने उन बातों को नही लिए जिनके आने के कम उम्मीद है। इसलिए आपको जितना इसमे बताया जा रहा है उतना आप जरूर याद रखे और दोस्तो अगर आपको पसंद आये तो प्लीज शेयर करे और अगर कुछ सुझाव या प्रश्न हो तो कॉमेंट बॉक्स में लिखे, हम आपके सवाल का जवाब जल्द से जल्द देने का प्रयास करेंगे।

THANK YOU SO MUCH



परिचय INTRODUCTION


चन्द्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है।

यह सौर मंडल का पाचवाँ सबसे विशाल प्राकृतिक उपग्रह है। 

पृथ्वी के मध्य से चन्द्रमा के मध्य तक कि दूरी 3,84,403 किलोमीटर है। 

यह दूरी पृथ्वी कि परिधि के 30 गुना है।

चन्द्रमा पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से 1/6 है।


चंद्रमा का हम एक ही भाग क्यों देख पाते है ?


यह पृथ्वी कि परिक्रमा 27•3 दिन में पूरा करता है और अपने अक्ष के चारो ओर एक पूरा चक्कर भी 27•3 दिन में लगाता है। 

लगभग समान समय में चक्कर लगा लेता है। 

यही कारण है कि चन्द्रमा का एक ही हिस्सा हमेशा पृथ्वी की ओर होता है। 

जिसके कारण हम चंद्रमा का एक ही भाग देख पाते है 


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ध्यान रहे एक समय में चंद्रमा का लगभग 59 प्रतिशत भाग पृथ्वी से सदैव दिखाई देता है ।


महत्वपूर्ण बातें


बृहस्पति के उपग्रह lo के बाद चन्द्रमा दूसरा सबसे अधिक घनत्व वाला उपग्रह है। 

सूर्य के बाद आसमान में सबसे अधिक चमकदार निकाय चन्द्रमा है। 

समुद्री ज्वार और भाटा चन्द्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण आते हैं।


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समुद्री ज्वार और भाटा


सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण
 चंद्रमा के कारण होता है ?


जब चन्द्रमा अपनी कक्षा में घूमता हुआ सूर्य और पृथ्वी के बीच से होकर गुजरता है और सूर्य को पूरी तरह ढक लेता है तो उसे सूर्यग्रहण कहते हैं।

चन्द्रमा का धरातल असमतल और इसका व्यास 3,476 कि.मी है तथा द्रव्यमान, पृथ्वी के द्रव्यमान का लगभग 1/8 है।

पृथ्वी के समान इसका परिक्रमण पथ भी दीर्घ वृत्ताकार है।


चन्द्र ग्रहण (Lunar eclipse) ??


एक खगोलीय घटना है। 

जब सूर्य व चन्द्रमा के बीच पृथ्वी इस प्रकार से आ जाती है कि पृथ्वी की छाया से चन्द्रमा का पूरा या आंशिक भाग ढक जाता है। 

जब इस स्थिति में पृथ्वी सूर्य की किरणों के चन्द्रमा तक पहुँचने में अवरोध लगा देती है तो पृथ्वी के उस हिस्से में चन्द्र ग्रहण नज़र आता है। 

चन्द्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी के आ जाने की खगोलीय घटना को ही चन्द्र ग्रहण कहते हैं।


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चन्द्र ग्रहण


चन्द्र ग्रहण दो प्रकार का होता है।  

पूरा चन्द्रमा ढक जाने पर सर्वग्रास चन्द्रग्रहन

आंशिक रूप से ढक जाने पर खण्डग्रास (उपच्छाया) चन्द्रग्रहण


पृथ्वी और न्द्रमा की तुलना


आयतन = 2.1985×10^10 कि.मी^3 = 0.020 पृथ्वी का आयतन का 

द्रव्यमान = 7.342×10^22 कि.ग्रा = 0.0123 पृथ्वी  द्रव्यमान का 

गुरुत्वाकर्षण = 
1.622  मी/से2 = 0.165 पृथ्वी का गरुत्वाकर्षण का 

पलायन वेग = 
2.38 कि.मी/सें =  0.2125 पृथ्वी का पलायन वेग का 

माध्य त्रिज्या = 1,737.10 km = 0.273 Earths)

विषुवतीय त्रिज्या = 1,738.14 km = 0.273 
पृथ्वी का विषुवतीय त्रिज्या
 
ध्रुवीय त्रिज्या = 1,735.97 km = 0.273 
पृथ्वी का ध्रुवीय त्रिज्या



महत्वपूर्ण चंद्र मिशन


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अन्तरिक्ष में मानव सिर्फ चन्द्रमा पर ही कदम रख सका है। 

सोवियत संघ का लूना-1 पहला अन्तरिक्ष यान था जो चन्द्रमा के पास से गुजरा था।   

लेकिन लूना-2 पहला यान था जो चन्द्रमा की धरती पर उतरा था। 

सन् 1968  में केवल नासा अपोलो कार्यक्रम ने उस समय मानव मिशन भेजने की उपलब्धि हासिल की थी। 
 

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नासा अपोलो कार्यक्रम


और पहली मानवयुक्त चंद्र परिक्रमा मिशन की शुरुआत अपोलो - 8 के साथ की गई। 

16 जुलाई 1969 को अपोलो 11 के द्वारा नील आर्मस्ट्रांग, एडविन "बज़" एल्ड्रिन और माइकल कोलिन्स चन्द्रमा की धरती पर उतरा था। 

पहला कदम चाँद की धरती पर नील आर्मस्ट्रांग ने रखा। 

दूसरा कदम चाँद की धरती पर एडविन "बज़" एल्ड्रिन ने रखा। 

तीसरा कदम चाँद की धरती पर माइकल कोलिन्स ने रखा

2004 के बाद से जापान, चीन, भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी में से प्रत्येक ने चंद्र परिक्रमा के लिए यान भेजा है।


भारत का चंद्र मिशन


चन्द्रयान 1 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के द्वारा चंद्रमा के लिए भारत का पहला अंतरिक्ष यान था।

इस अभियान के अन्तर्गत एक मानवरहित यान को 22 अक्टूबर, 2008 को चन्द्रमा पर भेजा गया और यह 30 अगस्त, 2009 तक सक्रिय रहा।

चंद्रयान का उद्देश्य चंद्रमा की सतह के विस्तृत नक्शे और पानी के अंश और हीलियम की तलाश करना था।


चंद्रमा पर खड्डे कैसे बने ?


चंद्रमा पर खड्डों  का निर्माणक्षुद्रग्रहों और धूमकेतुओं के चंद्रमा की सतह से टकराने के साथ हुआ है। 

चंद्रमा के अकेले नजदीकी पक्ष में ही 1 किमी से ज्यादा चौड़ाई के लगभग 3 लाख खड्डों के होने का अनुमान है। 

इनमें से कुछ के नाम विद्वानों, वैज्ञानिकों, और खोजकर्ता के नाम पर हैं।

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चंद्रमा पर खड्डे

महत्वपूर्ण बातें IMP FACTS


चन्द्रमा का उच्चतम पर्वत लीबनिज पर्वत है जो 10,668 मी0 ऊँचा है, यह चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित है।

चन्द्रमा को जीवाश्म ग्रह भी कहा जाता है।

इसके प्रकाश को पृथ्वी तक आने में 1.3 सेकंड लगता है।

चन्द्रमा का धरातल असमतल और इसका व्यास 3,476 कि.मी है।

तथा द्रव्यमान, पृथ्वी के द्रव्यमान का लगभग 1/8 है।

पृथ्वी के समान इसका परिक्रमण पथ भी दीर्घ वृत्ताकार है।

सूर्य के संदर्भ में चन्द्रमा की अवधि 29.53 दिन (29 दिन, 12 घंटे, 44 मिनट ) होती है।

इस समय को एक चन्द्रमास या साइनोडिक मास कहते हैं।

चंद्रमा की सतह पर संघटन Ar, He, Na, K, H, Rn है।



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About K SINGH RAJVEER

HII दोस्तो कैसे हैं आप सब SKY THE LIMITLESSS पर आपका स्वागत है !! सच कहूँ तो अपने बारे में लिखना सबसे मुश्किल काम है ! मैं इस विश्व के जीवन मंच पर एक अदना सा और संवेदनशील किरदार हूँ जो अपनी भूमिका निष्ठापूर्वक निभाने का प्रयत्न कर रहा हूं !! आप मुझे SKY THE LIMITLESSS का Founder कह सकते है ! मेरा उद्देश्य हिन्दी माध्यम में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले प्रतिभागियों का सहयोग करना है !! आप सभी लोगों का स्नेह प्राप्त करना तथा अपने अर्जित अनुभवों तथा ज्ञान को वितरित करके आप लोगों की सेवा करना ही मेरी अभिलाषा है !! ONE THING PLEASE KEEP IN YOUR MIND Don't limit yourself,so that life won't limit you. set sky as your limit, work hard to reach there and "sky the limitlesss class" promise you that we will help you in your limitless journey. On this website, I am trying to provide you the material for the preparation of all types of competitive exams like UPSC, PCS,STATE PSC, SSC CGL, SSC CHSL,CDS, NDA,RAILWAYS, BANKING, PATWARI, POLICE, SI, CTET, TET, Hope you like this effort Thank you so much

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