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सूर्य ग्रहण-चन्द्र ग्रहण-की महत्वपूर्ण सामान्य जानकारीयां-SOLAR-MOON-ECLIPSE-GK-CURRENT-AFFAIRS-HINDI-GK FOR ALL COMPETITIVE EXAM

HII दोस्तो कैसे हैं आप सब 

आज आप सभी को सूर्य ग्रहण-चन्द्र ग्रहण महत्वपूर्ण सामान्य जानकारीयां के बारे में बताया गया है, जो भी आपके परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है वह आपको दी जा रही है। दोस्तो जानने के लिए बहोत सी बातें है पर मैं आपको उतना ही बताऊंगा जितने से 95 - 100 उम्मीद है आएगी इसलिए मैने उन बातों को नही लिए जिनके आने के कम उम्मीद है। इसलिए आपको जितना इसमे बताया जा रहा है उतना आप जरूर याद रखे और दोस्तो अगर आपको पसंद आये तो प्लीज शेयर करे और अगर कुछ सुझाव या प्रश्न हो तो कॉमेंट बॉक्स में लिखे, हम आपके सवाल का जवाब जल्द से जल्द देने का प्रयास करेंगे।

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सूर्य ग्रहण-चन्द्र ग्रहण-की महत्वपूर्ण सामान्य जानकारीयां-GK-CURRENT-AFFAIRS-HINDI-GK FOR ALL COMPETITIVE EXAM
सूर्य ग्रहण


 सूर्य ग्रहण (SOLAR ECLIPSE)


जब कभी दिन के समय सूर्य एवं पृथ्वी के बीच चंद्रमा के आ जाने से सूर्य की चमकती हुई सतह चंद्रमा के कारण दिखाई नहीं पड़ने लगती है तो इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।


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सूर्य ग्रहण 



याद रहे सूर्य ग्रहण दिन के समय लगता है।

जब सूर्य का एक भाग छिप जाता है तो उसे आंशिक सूर्य ग्रहण और जब पूरा सूर्य ही छिप जाता है तो उसे पूर्ण सूर्यग्रहण कहते हैं।

पूर्ण सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या यानी न्यू मून को ही होता है।

पूर्ण - ग्रहण के समय चाँद को सूरज के सामने से गुजरने में लगभग दो घण्टे लगते हैं। 

चाँद सूरज को पूरी तरह से, ज़्यादा से ज़्यादा, सात मिनट तक के लिए ढँक सकता है।

इन कुछ क्षणों के लिए आसमान में अंधेरा हो जाता है, या यूँ कहें कि दिन में ही रात हो जाती है।



सूर्य ग्रहण कितने प्रकार के होते हैं ??


सूर्य ग्रहण के तीन मुख्य प्रकार होते हैं

चन्द्रमा द्वारा सूर्य के प्रकाश को पूरे या कुछ भाग के ढ़के जाने की वजह से सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं।

जिन्हें पूर्ण सूर्य ग्रहण, आंशिक सूर्य ग्रहण और वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।


पूर्ण सूर्य ग्रहण


पूर्ण सूर्य ग्रहण
कब होता है ??


पूर्ण सूर्य ग्रहण उस समय होता है जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफी पास रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है।  
जिसके कारण चन्द्रमा पूरी तरह से पृथ्वी को अपने छाया क्षेत्र में ले लेता है।

जिसके कारण सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक पहुँच नहीं पाता है और पृथ्वी पर अंधकार जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

तब पृथ्वी पर पूरा सूर्य दिखाई नहीं देता है।

ऐसे ग्रहण को ही पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते है।


पूर्ण सूर्य ग्रहण 

आंशिक सूर्य ग्रहण



आंशिक सूर्य ग्रहण में जब चन्द्रमा सूर्य व पृथ्वी के बीच में इस प्रकार आए कि सूर्य का कुछ ही भाग पृथ्वी से दिखाई देता है।

मतलब चन्दमा, सूर्य के केवल कुछ भाग को ही ढक पाता है। 

इससे सूर्य का कुछ भाग ग्रहण में तथा कुछ भाग ग्रहण से अप्रभावित रहता है।  

तो पृथ्वी के उस भाग विशेष में ग्रहण लगा होता है और बाकी भागो में ग्रहण का असर नही दिखता है। 

इसे ही आंशिक सूर्य ग्रहण कहलाता है।



आंशिक सूर्य ग्रहण

वलयाकार सूर्य ग्रहण



वलयाकार सूर्य ग्रहण में जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफी दूर रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है। 

अर्थात चन्द्रमा सूर्य को इस प्रकार से ढकता है, कि सूर्य का केवल मध्य भाग ही छाया क्षेत्र में आता है।

यह दृश्य पृथ्वी से देखने पर चन्द्रमा द्वारा सूर्य पूरी तरह ढका नहीं दिखाई देता बल्कि सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित होने के कारण कंगन या वलय के रूप में चमकता दिखाई देता है।

कंगन आकार में बने सूर्यग्रहण को ही वलयाकार सूर्य ग्रहण कहलाता है।


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कंगन या वलय सूर्य ग्रहण


चन्द्र ग्रहण



पृथ्वी अपनी धूरी पर सूर्य की परिक्रमा करती है और पृथ्वी का उपग्रह चन्‍द्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है।

चन्‍द्रगहण तब होता है जब सूर्य की परिक्रमा करती हुई पृथ्वी सूर्य व चन्द्रमा के बीच इस प्रकार से आ जाती है।

कि पृथ्वी की छाया से चन्द्रमा का पूरा या आंशिक भाग ढक जाता है और इससे सूर्य का प्रकाश चन्द्रमा तक नहीं पहुॅच पाता है।

इसी भौगौलिक घटना को हम चन्‍द्रग्रहण कहते हैं।






चंद्रग्रहण कितने प्रकार के होते हैं ??


चंद्र ग्रहण के प्रकार निम्न हैं

1) सुपर मून (Super Moon)



सुपर मून उस स्थिति में होता है जब चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी घटती है और पृथ्वी सूर्य एवं चंद्रमा के बीच आ जाती है।

इस स्थिति को ही सुपर मून कहा जाता है।

इस स्थिति में चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है।

इसी स्थिति को पेरिस फुल मून या सुपरमून भी कहते हैं।

इस स्थिति में चंद्रमा बहुत बड़ा और चमकीला दिखता है।

इसमें चंद्रमा 14% ज्यादा बड़ा तथा 30% अधिक चमकीला दिखाई पड़ने लगता है।


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सुपर मून



2) ब्लू मून (Blue Moon)



इस स्थिति में पूर्ण चंद्रमा दिखता है लेकिन चंद्रमा के निचले हिस्से से नीला प्रकाश निकलता दिखता है।


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ब्लू मून


इसलिए इसे ब्लू मून कहा जाता है।

माना जाता है कि अगला ब्लू मून 2028 और 2037 में दिखेगा।

दूसरे शब्दों में एक कैलेंडर माह में अगर दो पूर्णिमा हो तो दूसरी पूर्णिमा का चांद ब्लू मून कहा जाता है।

इसका मुख्य कारण दो पूर्णिमा के बीच अंतराल 31 दिनों से कम का होना है।

ऐसा 2-3 साल पर होता है।

अगस्त 2012 में दो पूर्णिमा 2 अगस्त और 31 अगस्त को देखे गए थे। इनमें से 31 अगस्त में पूर्णिमा को ब्लू मून कहा गया।

जब किसी वर्ष विशेष में दो या अधिक माह ब्लू मून के हो तो उसे मून ईयर कहा जाता है, वर्ष 2018 ब्लू मून ईयर था।


3) ब्लड मून (Blood Moon)



इस स्थिति में पृथ्वी की छाया पूरे चंद्रमा को ढंक लेता है लेकिन फिर सूर्य की कुछ किरणें चंद्रमा तक पहुंचती हैं।

जब सूर्य की किरणे चंद्रमा पर गिरती हैं तो यह लाल दिखता है। 

इसी कारण इसे ब्लड मून कहा जाता है।


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ब्लड मून


4) सुपर ब्लड ब्लू मून
(Super Blue Blood Moon)


 

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About K SINGH RAJVEER

HII दोस्तो कैसे हैं आप सब SKY THE LIMITLESSS पर आपका स्वागत है !! सच कहूँ तो अपने बारे में लिखना सबसे मुश्किल काम है ! मैं इस विश्व के जीवन मंच पर एक अदना सा और संवेदनशील किरदार हूँ जो अपनी भूमिका निष्ठापूर्वक निभाने का प्रयत्न कर रहा हूं !! आप मुझे SKY THE LIMITLESSS का Founder कह सकते है ! मेरा उद्देश्य हिन्दी माध्यम में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले प्रतिभागियों का सहयोग करना है !! आप सभी लोगों का स्नेह प्राप्त करना तथा अपने अर्जित अनुभवों तथा ज्ञान को वितरित करके आप लोगों की सेवा करना ही मेरी अभिलाषा है !! ONE THING PLEASE KEEP IN YOUR MIND Don't limit yourself,so that life won't limit you. set sky as your limit, work hard to reach there and "sky the limitlesss class" promise you that we will help you in your limitless journey. On this website, I am trying to provide you the material for the preparation of all types of competitive exams like UPSC, PCS,STATE PSC, SSC CGL, SSC CHSL,CDS, NDA,RAILWAYS, BANKING, PATWARI, POLICE, SI, CTET, TET, Hope you like this effort Thank you so much

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