HII दोस्तो कैसे हैं आप सब
आज आप सभी को राज्यो के पुनर्गठन के बारे में बताया गया है, जो भी आपके परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है वह आपको दी जा रही है। दोस्तो जानने के लिए बहोत सी बातें है पर मैं आपको उतना ही बताऊंगा जितने से 95 - 100 % उम्मीद है आएगी इसलिए मैने उन बातों को नही लिए जिनके आने के कम उम्मीद है। इसलिए आपको जितना इसमे बताया जा रहा है उतना आप जरूर याद रखे और दोस्तो अगर आपको पसंद आये तो प्लीज शेयर करे और अगर कुछ सुझाव या प्रश्न हो तो कॉमेंट बॉक्स में लिखे, हम आपके सवाल का जवाब जल्द से जल्द देने का प्रयास करेंगे।
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राज्यो के पुनर्गठन का आधार क्या रखा गया ??
(1) भाषा के आधार पर
भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन उचित है या नहीं, इसकी जांच के लिए संविधान सभा के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश एस. के. धर की अध्यक्षता में एक चार सदस्यीय आयोग की नियुक्ति की।
इस आयोग ने भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन का विरोध किया और प्रशासनिक सुविधा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन का समर्थन किया।
धर आयोग के कथनानुसार कांग्रेस कार्य समिति ने अपने जयपुर अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू, बल्लभ भाई पटेल और सीतारमैय्या की एक समिति का गठन किया।
इस समिति ने भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की मांग को खारिज कर दिया।
धर आयोग का परिणाम
धर की अध्यक्षता में एक चार सदस्यीय आयोग |
नेहरू पटेल एवं सीतारमैय्या समिति की रिपोर्ट के बाद मद्रास राज्य के तेलगु-भाषियों नें श्री रामुल्लू के नेतृत्व में आंदोलन प्रारम्भ हुआ।
56 दिन के आमरण अनशन के बाद 15 दिसंबर, 1952 को रामुल्लू की मृत्यु हो गई।
इससे जनता में काफी आक्रोश आ गया और आंदोलन काफी बड़े स्तर पर शुरू हो गया तभी प्रधानमंत्री नेहरू जी ने रामुल्लू की मृत्यु के बाद तेलगु भाषियों के लिए अलग एक आंध्रप्रदेश के गठन की घोषणा कर दी।
1 अक्टूबर, 1953 को आंध्र प्रदेश राज्य का गठन हो गया।
यह राज्य स्वतन्त्र भारत में भाषा के आधार पर गठित होने वाला पहला राज्य था।
इसके बाद देश में चारों ओर अलग-अलग राज्यों की मांग उठने लगी तब तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू जी ने एक आयोग का गठन किया।
(2) राज्य पुनर्गठन अयोग
इस आयोग ने 30 दिसंबर 1955 को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
इस आयोग ने राष्ट्रीय एकता, प्रशासनिक और वित्तीय व्यवहार्यता, आर्थिक विकास, अल्पसंख्यक हितों की रक्षा तथा भाषा को राज्यों के पुनर्गठन का आधार बनाया।
सरकार ने इसमे कुछ सुधार के साथ मंजूर कर लिया, जिसके बाद 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम संसद ने पास किया।
इसके तहत 14 राज्य तथा 6 केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए।
1960 में पुनर्गठन का दूसरा दौर चला।
1963 में नगालैंड गठित हुआ।
1966 में पंजाब का पुनर्गठन हुआ और उसे पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में तोड़ दिया गया।
1972 में मेघालय, मणिपुर और त्रिपुरा बनाए गए।
1987 में मिजोरम का गठन किया गया और केन्द्र शासित राज्य अरूणाचल प्रदेश और गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया।
2000 में उत्तराखण्ड, झारखण्ड और छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आए।
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